
नागौर। मेड़ता निवासी एक परिवादी ने केमिकल्स पेंट के जरिये अपनी टपकती छत की रिपेयरिंग कराई। इस दौरान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 3 साल की लिखित गारंटी दी तथा दावा कि अब 10 साल तक बारिश से छत नहीं टपकेगी मगर पहली ही बारिश में छत पर लगाया गया केमिकल पेंट् उतर गया और छत टपकने से परिवादी को आर्थिक नुकसान पहुंचा तथा उसे उपहास का पात्र भी बनना पड़ा।


इस आशय के एक परिवाद में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने छत पर केमिकल्स पेंट करने वाली फर्म को इसका दोषी माना तथा उसे छत की दुबारा रिपेयरिंग करने या पूर्व में ली गई मरम्मत की राशि ब्याज सहित वापिस करने और परिवादी को हुई मानसिक वेदना व परिवाद व्यय के एवज में 10 हजार रुपया जुर्माना अदा करने के आदेश दिए हैं।
ये था मामला
मेड़ता निवासी अरविंद पारीक ने मेड़ता शहर के प्रिंस टाकिज के पास स्थित मैसर्स कैम्पलस पेंट एण्ड कंस्ट्रेक्शन केमिकल्स के प्रोपराइटर महेंद्र के जरिये अपने घर की टपकती हुई छत पर केमिकल पेंट कराया था। इस दौरान प्रोपराइटर महेंद्र को परिवादी ने इस काम के पेटे 8448 रुपए भी अदा किए। इस दौरान अप्रार्थी महेन्द्र ने दावा किया कि अब उनकी छत 10 साल तक नहीं टपकेगी और घर में सीलन भी नहीं आएगी। इसके लिए बकायदा अप्रार्थी ने परिवादी को तीन साल की लिखित गारंटी भी दी। परिवादी अरविंद पारीक ने ये रिपेयरिंग 9 मई 2018 को कराई मगर पहली ही बारिश में केमिकल धुल गया और छत पूर्व की भांति टपकने लगी तथा घर में सीलन आ गई।
इस दौरान परिवादी ने बार बार महेंद्र से मुलाकात कर अवगत कराया कि छत टपक रही है उसकी मरम्मत दुबारा करो मगर वो टालता रहा और बाद में कह दिया कि अब कुछ नहीं होगा जो करना है वो कर लो। इस पर परिवादी अरविंद पारीक ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर की शरण ली और इस आशय का परिवाद पेश किया। न्यायालय ने अप्रार्थी को नोटिस भेजा जो तामिल हो गया मगर निर्धारित अवधि में अप्रार्थी न तो न्यायालय में पेश हुआ और न ही उसने कोई जवाब दिया।
यह दिया फैसला
इस पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर के अध्यक्ष नरसिंहदास व्यास, सदस्य चन्द्रकला व्यास ने माना कि इस परिवाद में उपभोक्ता के साथ अन्याय हुआ है तथा ये व्यापार व व्यवहार में अनुचित है और सेवा में कमी है। इसलिए मैसस कैमपलस पेंट एण्ड कंस्ट्रेक्शन केमिकल्स के प्रोपराइटर महेंद्र को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए आदेश दिए कि या तो 2 माह के अंदर अंदर वह परिवादी की छत की दुबारा मरम्मत करें और 3 साल की वापिस गारंटी दें अन्यथा विकल्प के तौर पर 2 माह में परिवादी से वसूले गए 8448 रुपए वापिस 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करें। साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि अप्रार्थी के अनुचित व्यवहार व अनुचित व्यापार से परिवादी को हुई मानसिक वेदना व परिवाद व्यय के तहत 10 हजार रुपए बतौर जुर्माना अदा करें।

Author: News Inside 7

